Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
मदारीहाट सीट पर इस बार तृणमूल कांग्रेस ने जयप्रकाश टोप्पो को उम्मीदवार बनाया था, जिन्होंने भाजपा के प्रभाव को तोड़ते हुए बड़ी जीत दर्ज की है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के छह विधानसभा सीटाें नैहाटी, मेदिनीपुर, सिताई, मदारीहाट, तालडांगरा और हाड़ोआ के उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। सत्ताधारी दल ने सभी छह सीटों पर कब्जा जमाते हुए भाजपा को पूरी तरह से पस्त कर दिया है। खास बात यह रही कि मादारीहाट सीट, जो अब तक भाजपा का मजबूत गढ़ मानी जाती थी, वहां भी पहली बार तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। चुनाव आयाेग ने इन सभी सीटाें के परिणामाें की घाेषणा कर दी है।
मदारीहाट सीट पर इस बार तृणमूल कांग्रेस ने जयप्रकाश टोप्पो को उम्मीदवार बनाया था, जिन्होंने भाजपा के प्रभाव को तोड़ते हुए बड़ी जीत दर्ज की है। यह सीट 1977 से 2016 तक वामपंथी दल आरएसपी के कब्जे में थी। 2016 और 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के मनोज टिग्गा ने यहां से जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार मनोज टिग्गा को लोकसभा के लिए खड़ा किया गया था, जिससे इस सीट पर उपचुनाव हुआ। तृणमूल की जीत ने यह साबित कर दिया कि भाजपा का प्रभाव इस क्षेत्र में कमजोर हो चुका है।
भाजपा की रणनीति सवालों के घेरे में-
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की निष्क्रियता इस उपचुनाव में साफ नजर आई। मदारीहाट जैसे गढ़ में भाजपा कोई खास चुनौती पेश नहीं कर सकी। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि परिणाम अपेक्षित थे, लेकिन मादारीहाट में भाजपा को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। हालांकि, परिणामों ने साबित किया कि भाजपा शासक दल के सामने लगभग आत्मसमर्पण कर चुकी थी।
वाम-कांग्रेस का पतन जारी-
वोट परिणामों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि बंगाल में वाम और कांग्रेस की स्थिति हाशिये पर पहुंच चुकी है। छह सीटों में से केवल हाड़ोआ सीट पर वाम समर्थित आईएसएफ उम्मीदवार पियरुल इस्लाम दूसरे स्थान पर रहे, जबकि बाकी सीटों पर वाम और कांग्रेस उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।
तृणमूल का गांव और शहर दोनों पर कब्जा-
छह सीटों में नैहाटी और मेदिनीपुर जैसे शहरी क्षेत्र और सिताई, मदारीहाट, तालडांगरा, और हाड़ोआ जैसे ग्रामीण क्षेत्र शामिल थे। तृणमूल ने सभी सीटों पर जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया कि उसका प्रभाव गांव और शहर दोनों जगह बरकरार है। भाजपा के आदिवासी वोट बैंक में भी इस बार तृणमूल ने सेंध लगाई। मदारीहाट के आदिवासी और ईसाई समुदायों के वोट, जो भाजपा का मजबूत आधार माने जाते थे जाे तृणमूल के खाते में चले गए। भाजपा के पूर्व सांसद जॉन बारला की भूमिका भी इस चुनाव में विवादों के घेरे में रही, जिन्होंने तृणमूल नेताओं के साथ बैठक की थी।
तृणमूल के नेताओं की प्रतिक्रिया-
तृणमूल के नेता और राज्यसभा सांसद प्रकाश चिक बराइक ने कहा कि जनता ने भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को नकार दिया है और ममता बनर्जी के विकास कार्यों पर भरोसा जताया है।
छह महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका लगा था, लेकिन इस उपचुनाव में उसकी स्थिति और खराब हो गई। हालांकि, भाजपा के राज्यसभा सांसद शमिक भट्टाचार्य ने इसे भाजपा के लिए "राजनीतिक सबक" बताया और कहा कि यह कोई आपदा नहीं है। तृणमूल ने इस उपचुनाव में जनता का भरोसा जीता है। भाजपा की निष्क्रियता और वाम-कांग्रेस की कमजोरी ने तृणमूल को मैदान में बढ़त दी। इससे साबित हाेता है कि राज्य की राजनीति में तृणमूल का दबदबा अभी भी बरकरार है।
इस उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने न केवल छह सीटें जीतीं, बल्कि यह भी साबित किया कि भाजपा और वाम-कांग्रेस की चुनौतियां कमजोर हो चुकी हैं।